इन्वेस्टमेंट से पहले इन सात गलतियों पर दें ध्यान

हम सब गलतियां करते हैं। कभी-कभी हम ऐसी गलतियां भी कर जाते हैं जो हमें नहीं करनी चाहिए। कुछ गलतियां बहुत छोटी होती हैं, जिन्हें अवसर मिलने पर सुधारा जा सकता है। लेकिन कुछ गलतियां हमें काफी महंगी पड़ती हैं और दूसरा अवसर मिलने पर भी इन्हें आसानी से नहीं सुधारा जा सकता।


इनवेस्टमेंट भी एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां छोटी से छोटी गलती भी बड़ी महंगी साबित हो सकती है। तो क्या आपको पता है कि इनवेस्टमेंट करने से पहले आपको क्या करना चाहिए? और क्या आपको यह भी पता है कि इन्वेस्टमेंट करते समय वे कौन-कौन सी गलतियां हैं जिनसे बचना चाहिए?

अगर आपको नहीं पता तो कोई बात नहीं। हम यहां आपको ऐसी आम सात गलतियों से परिचित करा रहे हैं जिन्हें इनवेस्टमेंट करते समय आपको हर कीमत पर करने से बचना चाहिए।

ट्रेडिंग और इनवेस्टमेंट के बीच असमंजस : 
सबसे पहले आपको ट्रेडिंग और इनवेस्टमेंट के बीच के फर्क को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। ट्रेडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके लिए आपको बहुत ज्यादा प्लानिंग और रिसर्च की जरूरत नहीं होती। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि ट्रेडिंग के लिए आपको केवल स्टॉक और म्‍युचुअल फंड खरीदना और बेचना होता है।

सही मायने में ट्रेडिंग आपको लंबी अवधि में पूंजी बनाने में मदद नहीं करता लेकिन इससे आपके ब्रोकर को जरूर अच्छा खासा लाभ हो जाता है। इसलिए इनवेस्टमेंट करने से पहले यहां ट्रेडिंग और इनवेस्टमेंट के बीच के अंतर को भलीभांति समझना बहुत जरूरी है।

इनवेस्टमेंट के लिए आपको बहुत रिसर्च और सोची समझी प्लानिंग की जरूरत होती है। आपकी इनवेस्टमेंट पूंजी, आपका लक्ष्य, रिस्क उठाने की क्षमता, वर्तमान मार्केट कंडीशन और भविष्य के मार्केट के लिए कुछ बेसिक अध्ययन के साथ ही अन्य कई मुद्दों की समझ आपको बेहतर इनवेस्टमेंट रणनीति बनाने में काफी मददगार साबित होगी।


रूढ़ीवादिता : 
अधिकांश लोग बहुत ही रूढ़ीवादी रुख अपनाते हैं और वे पारंपरिक प्रॉडक्ट जैसे बैंक डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) आदि में निवेश करते हैं। उनका तर्क होता है कि पारंपरिक प्रॉडक्ट गारंटीड रिटर्न देते हैं। हालांकि, पारंपरिक प्रॉडक्ट से मिलने वाला रिटर्न स्टॉक, म्युचुअल फंड और इक्विटी से मिलने वाले रिटर्न की तुलना में काफी कम होता है।

एक अच्छा इनवेस्टमेंट उसे कहते हैं जो गारंटीड रिटर्न के साथ ही वास्तविक रिटर्न भी दे। वास्तविक रिटर्न वह रिटर्न है जो मुद्रास्फीति के बाद मिले। और यह हमेशा तभी सही होगा जब हम वास्तविक रिटर्न को विशेषज्ञ की मदद से वर्तमान हालातों को विशेषकर मुद्रास्फीति को ध्यान में रखकर गणना करें।

आक्रामकता : 
बहुत अधिक रूढ़ीवादिता न अपनाने का मतलब यहां यह बिल्कुल नहीं है कि आप मार्केट में एकदम आक्रामक रुख अपना लें। एक निवेशक यदि बिना सोचे समझे और बिना किसी जानकारी के किसी कंपनी के स्टॉक में आक्रामक तरीके से इनवेस्ट करता है तो उसे अपनी पूंजी गंवानी भी पड़ सकती है। ऐसे में बीच का रास्ता अपनाना बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए हमेशा मार्केट कंडीशन के हिसाब से अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में बदलाव करते रहना चाहिए।

बेकार स्टॉक का चयन : 
बेकार स्टॉक को खरीदना, कुछ निवेशकों द्वारा की जाने वाली यह एक बड़ी सामान्य सी गलती है। बेकार स्टॉक का मतलब केवल नॉन परफॉर्मिंग स्टॉक से नहीं है, इसका मतलब ऐसे कंपनियों के स्टॉक से भी है जिनके बारे में कभी कुछ नहीं सुना गया हो। ऐसे किसी कंपनी के स्टॉक खरीदने से बचना चाहिए जिनके बारे में हमनें कभी कुछ सुना या पढ़ा न हो, भले ही यह कंपनियां बेहतर प्रदर्शन क्यों न कर रही हों।

ऐसी कंपनियों के स्टॉक छोटी अवधि में तो अच्छा रिटर्न देते हैं लेकिन लंबी अवधि में इनका कोई भरोसा नहीं रहता और कभी भी इनके स्टॉक बेकार हो जाते हैं। यहां ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं कि कई कंपनियां और उनके स्टॉक एक समय पश्चात बिल्कुल बेकार हो गए।

इसलिए यह जरूरी है कि हमेशा परफॉर्मिंग स्टॉक में ही निवेश किया जाए। और साथ ही एक अच्छे फंड मैनेजर की मदद ली जाए। उदाहरण के तौर पर एक छोटे सी रकम के साथ आप सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिए रेगूलर इनवेस्ट कर सकते हैं और लंबी अवधि में इसके जरिए आप एक अच्छी खासी पूंजी बना सकते हैं।

अपने निवेश की सुध न रखना : 
लंबी अवधि के दौरान अच्छे रिटर्न के लिए समय-समय पर अपने इनवेस्टमेंट की जांच परख करना भी बहुत जरूरी है। मार्केट के व्यवहार, अपनी रिस्क क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों के समावेश के साथ एक निश्चित समय अंतराल पर इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो की जांच करते रहना चाहिए।
अनुपयुक्त इनवेस्टमेंट जैसे डेट में लंबे समय के लिए बहुत अधिक इनवेस्टमेंट और आने वाले तिमाही नतीजो से पहले इक्विटी में असामान्य इनवेस्टमेंट आपको मुश्किल में डाल सकता है और इससे आपके रिटर्न पर भी विपरीत असर पड़ सकता है।

मार्केट के सही समय की समझ : 
यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां कई बार विशेषज्ञ भी चूक जाते हैं। शॉर्ट से मीडियम टर्म में मार्केट बहुत अधिक अप्रत्याशित होता है। हालांकि यहां कुछ पैरामीटर हैं जिनकी मदद से मार्केट का अनुमान लगाया जा सकता है। देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और व्यापारिक हालातों पर मार्केट निर्भर रहता है। यहां कोई ऐसा नियम नहीं है जिसकी मदद से यह पता चल सके कि किस हालात में मार्केट का क्या रुख रहेगा।

यहां आपको यह सुझाव दिया जाता है कि ऐसे हालातों के बारे में ज्यादा पढऩे से बचें। इसके विपरीत आप अपनी निवेश रणनीति पर ज्यादा ध्यान दें जो आपको लंबी अवधि में एक बड़ी पूंजी बनाने में मददगार होगी।

अतिविश्वास :
 लंबे समय से मार्केट से जुड़े खिलाड़ियों से अगर पूछा जाए तो वह केवल यही सलाह देंगे कि अल्प अवधि में मिली सफलता से अतिविश्वासी न बनें। अच्छे समय में विश्वासी होना कोई गलत बात नहीं है लेकिन अतिविश्वास में आकर कभी-कभी निवेशक गलत कर बैठता है।

यहां यह समझना बहुत जरूरी है कि मार्केट में आपको हाल ही में मिली सफलता के पीछे कई छिपे कारण हो सकते हैं। इसलिए थोड़ी सी सफलता के कारण अतिविश्वास में आकर अपने आप को परफेक्ट मैनेजमेंट ऑफ पोर्टफोलियो न समझे।

इससे आप बड़ी परेशानी में पड़ सकते हैं और आपको वित्तीय नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। मार्केट में इनवेस्टमेंट करने से पहले इन सभी सामान्य सी गलतियों को किसी भी कीमत पर करने से बचें, तो आप जरूर सफल निवेशक बन सकेंगे।